शुक्रवार, 30 जुलाई 2010



न रो रे दिल
बस कर
बहुत बेबस हूँ
मैं समझा तो कर
न रो रे
बस कर
ढूंढता ख़ाक में
निसानो को
है करता याद बीते
फसानो को
क्यूँ लेता है
मज़ा तू ज़ख्म को
कुरेदकर
बहुत बेबस हूँ
मैं समझा तो कर
न रो रे दिल
बस कर
बहुत बेबस हूँ मैं
समझा तो कर
न यूं फरियाद कर
मुझसे
भूल जा यार तू
उसे
सता के न ले यूं
मजा
तडपता हूँ मैं - पर
बहुत बेबस हूँ मैं
समझा तो कर
न रो रे दिल
बस कर
बहुत बेबस हूँ मैं
समझा तो कर
रहरहकर
हिचकी और सिसक
वो सिहरन और फिर कसक
नहीं और अब नहीं
न अब तू और
याद कर
न मर जाऊं इश बेबसी पर
न रो रे दिल
बस कर
बहुत बेबस हूँ
मैं समझा तो कर

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