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गोद में तुम हो गगन में चाँदनी है
काल को भी यह निशा तो मापनी है!
है रुपहली रात ; हैं सपने सुनहले-
और तुम हो साथ पर हम हैं अकेले
ठहर जा ऐ निशा - फ़िर
पल ये आए न आए !
प्रियशी यूँ रूठ कर फ़िर
न आज भी चली जाए !
मैं अकेला आज भी तुमको निहारूं
और तारों से कहकर मैं ये पुकारूँ
दिल के अंगारों को और आग कर दो
मुझको सुलगा कर तुम राख कर दो
न है प्यार न प्रियतमा अब
न तम्मन्ना न ही कोई आरजू अब
जब नही प्रिया है मेरी
फ़िर क्यूँ मै हूँ ?
क्या देखने , शायद प्रिया को आखरी तक ?
अब तो मेरा रूबरू भी - आखरी है
पढ़ लिया मैंने भी दिल को आखरी तक
अब ना हैं वो
ना उनकी आंखों में पानी
ना गोद है , न गगन में है चाँदनी
है निशा भी
अमावश की जैसे बनके काली
रहते थे जिस तट पर हम
हमेशा अकेले
उस तट की हर दिशा भी
है अब खाली
तुम कब आओगी अबोली ---?
वो तेरा सिमटना सकुचाना कभी हाथों को छूना कभी ठोकर लगा जाना पलकों को झुकाकर
दिल को छू जाना
बंद होठो से इकरार कर
मुझको तडपाना
यही अदा जो मुझे सताएगी;
न तुमने दिया नाम ना मैंने पूछा रिश्ता;
लेकिन मै जनता हूँ तू न मिल पायेगी;
फ़िर भी तू हर लम्हा याद आयेगी;
मै इन्तजार में हु तेरे;
तू जब आएगी;
कहीं इश आश में;
उमर न गुजर जाए -;
लेकिन प्यार अँधा है;
अबोली बता तू कब आएगी !
तू कब आएगी
ऐ मेरी अनजान अबोली;
तू कब आएगी
पलकें बिछाए इन्तजार में;
जिंदगी की लम्बी आग में ;
मै ठहर गया चौराहे पर -
की शायाद तू आए और कहे;
लो मै आ गई ;
बाता तू कब आएगी ;
मै इन्जार में हु तेरे ;
तू जब आएगी ;
ऐ मेरी अनजान अबोली बता तू कब आएगी -?