गोद में तुम हो गगन में चाँदनी है काल को भी यह निशा तो मापनी हैहै रुपहली रात है सपने सुनहले और तुम साथ पर हम है अकेले ठहर जा ऐ निशा - फ़िरपल ये आए न आए
प्रियाशी यूँ रूठ कर फ़िर
न आज भी चली जाए
मैं अकेला आज भी तुमको निहारूं
और तारों से कहकर ये पुकारूँ
दिल के अंगारों को आग कर दो मुझको सुलगा कर तुम राख कर दोन है - प्यार न प्रियतमा अब
न तमन्ना न ही कोई आरजू अब
जब नही प्रिया है मेरी फ़िर क्यूँ मैं हूँ -?
क्या देखने, शायद प्रिया को आखरी तक ?
अब तो मेरा रूबरू भी आखरी है
पढ़ लिया मैंने भी दिल को आखरी तकअब न हैं वो न उनकी आँखों में पानी
न गोद है न गगन में वो चाँदनी
है निशा भी अमावाश की जैसी बन के काली
रहते थे बैठे जिश तट पर हम अकेले
उस तट की हर दिशा भी है
अब खाली है अब खाली है अब खाली